यूँ तो पूरे भारतवर्ष में कुल 12 प्राचीन सूर्य मंदिर है, लेकिन पुण्यार्क सूर्य मंदिर ही एक ऐसा मंदिर है जहाँ आस्था में डूबे लोग गंगा में स्नान करके भगवान भास्कर को जल चढ़ाते हैं क्योंकि सभी 12 प्राचीन सूर्य मंदिरों में यही इकलौता सूर्य मंदिर है जो गंगा तट पर स्थित है ,इसलिए इस मंदिर की महिमा स्वतः ही अनुपम हो जाती है |
इस प्राचीन मंदिर की स्थापना को लेकर प्रचलित कथा के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण के पुत्र राजा साम्ब को अपने सौन्दर्य पर अभिमान हो गया था और अक्सर वे नारद मुनि का उपहास कर दिया करते थे |अंततः महर्षि नारद ने दुर्वासा ऋषि से मिलकर उन्हें दण्डित करने का उपाय सोचा |एक दिन जब श्रीकृष्ण अपने निजी कक्ष में विश्राम कर रहे थे तभी दुर्वासा ऋषि उनके महल में पहुँच गए और साम्ब को श्रीकृष्ण को बुलाने का आदेश दिया |आदेश पाकर साम्ब श्रीकृष्ण के निजी कक्ष में बुलाने चले गए |यह देखकर भगवान श्रीकृष्ण क्रोधित हो गए और उसका सौन्दर्य नष्ट होने का शाप दे दिया,जिससे साम्ब शारीरिक व्याधि से ग्रसित हो गए |जब साम्ब को अपनी भूल का अहसास हुआ तो वे महर्षि नारद के पास शाप से मुक्ति पाने का उपाय पूछने गए |तब महर्षि नारद ने भगवान भास्कर की उपासना का उपाय बताया |तभी श्रीकृष्ण के पुत्र राजा साम्ब ने गंगा तट पर इस प्राचीन ऐतिहासिक सूर्य मंदिर का निर्माण करवाया था और अपनी शारीरिक व्याधि एवं शाप से मुक्ति पाने के लिए नित्य गंगा स्नान करके भगवान भास्कर की उपासना करते थे |
सदियों से यह प्राचीन पुण्यार्क सूर्य मंदिर लोगों की आस्था और उपासना का केन्द्र है और बिहार के पावन छठ पर्व पर यहाँ हजारों की संख्या में लोग दूर-दूर से आकर भगवान सूर्य को अर्थ्य समर्पित करते हैं और अपनी मनोकामना पूर्ण करते हैं |
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