आज हम एक ऐसी ही रहस्यमयी मंदिर के बारे में बात करेंगे | हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में स्थित ज्वाला देवी का प्राचीन मंदिर अत्यन्त रहस्यमयी है जिसका रहस्य आज तक पहेली बनकर रह गया है | यह मंदिर रहस्यमयी और चमत्कारिक मंदिरों की सूची में सबसे ऊपर है |पुराणों के अनुसार 51 शक्तिपीठों में से एक शक्तिपीठ यह भी है | कहा जाता है कि इस स्थान पर देवी सती की जीभ गिरी थी |
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इस मंदिर की सबसे आश्चर्यजनक बात यह है कि इस मंदिर के पर्वत की चट्टान पर नौ अलग -अलग जगहों पर बिना किसी ईंधन के ज्योति निरन्तर जलती रहती है | मंदिर में मौजूद नौ ज्योतियों में एक प्रमुख ज्वाला चाँदी के आले में स्थित है, जिसे महाकाली कहते हैं | हिमालय की पहाड़ियों से घिरा यह स्थान चारों ओर से घने जंगलों से घिरा हुआ है | कहते हैं कि इस मंदिर का निर्माण सम्राट भूमिचन्द्र ने एक ग्वाले के कहने पर करवाया था |इस मंदिर में शुरू में जिन भोजक ब्राह्मणों ने पुजा अर्चना की थी आज भी उनके वंशज ही यहाँ पर पुजा अर्चना कर रहे हैं |
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इस मंदिर के बारे में एक और कहानी बताई जाती है कि एक बार मुगल बादशाह अकबर ने भी ज्वाला देवी की अग्नि को बुझाने का प्रयास किया था ,लेकिन लाख प्रयास करने पर भी ज्योति निरन्तर जलती रही |इतने निरन्तर प्रयास करने के बाद भी जब सम्राट अकबर अग्नि बुझाने में नाकाम रहे तो वो भी माँ ज्वाला के सामने सिर झुका लिया और श्रद्धापूर्वक सवा मन का एक सोने का छत्र मंदिर में दान किया |http://collegestar.in/?p=5037