Monday 11 June 2018

जल : सतर्क होने की अंतिम घड़ी

जल : सतर्क होने की अंतिम घड़ी 


जल, जीवन की मूलभूत आवश्यकता है, जो पहले आसानी से उपलब्ध था पर अब खरीदना पड़ा रहा है | 
दादाजी ने जल को नदियों में देखा था, पिताजी ने कुएँ में देखा, हमारे सामने यह नल और बोतलों में आ गया | 



कल्पना करिये आने वाली पीढ़ी को शीशी में ड्रॉप के रुप में उपलब्ध होगी | सतर्क  होने  की अंतिम घड़ी आ गई है | 
यदि अब भी नहीं संभले तो जल की बूंद - बूंद के लिए तरस जाएंगे |



 प्रदूषित नदियाँ --

 
                 
   तेज गति से बढ़ रही जनसंख्या, शहरीकरण , औद्योगीकरण ने जलस्त्रोत को तीव्र गति से दूषित किया है, जिससे इन स्त्रोतों का जल उपयोग लायक नहीं बचा |
पिछले पाँच सालों में प्रदूषित नदियों की संख्या 121 से बढ़कर 275 हो गई है |
अधिकांश नदियाँ नाले में बदल चुकी है |
भारत में कई ऐसे क्षेत्र हैं जहाँ के लोग पानी के लिए प्रतिदिन संघर्ष कर रहे हैं |

हमारे देश की लगभग 7 करोड़ आबादी गंदे या दूषित  पानी पर गुजारा कर रही है |
जिस जल से हम हाथ धोना पसंद नहीं करेंगें वैसे जल को वे पीने को मजबूर हैं |


शुद्ध जल की कमी --

           पृथ्वी पर 71% जल है जिसमें मात्र 2.5% ही शुद्ध है |इसमें भी उपयोग करने लायक केवल 0.03% ही जल है | 



शुद्ध जल का अधिकांश भाग बर्फ के रुप में ग्लेशियर में जमा है और लगभग 30% भूमिगत जल के रुप में है |
संयुक्त राष्ट्र के एक  रिपोर्ट के अनुसार महज 7 साल बाद सन् 2025 तक तक विश्व की 180 करोड़ आबादी ऐसे क्षेत्रों में रहेगी जहाँ पानी नहीं के बराबर होगा |



 डे - जीरो ---

     डे- जीरो का तात्पर्य ऐसी स्थिति से है जब शहर के सारे नलों में पानी आना बंद हो जाएगा |


दक्षिण अफ्रीका का शहर केपटाउन सूखे की मार झेल रहा है क्योंकि वहाँ डे - जीरो की स्थिति आ चुकी है |


वहाँ के लोगों को महज दो बाल्टी जल दिया जाता है, जिसमें सभी काम करने पड़ते हैं |
हाल ही प्रकाशित एक रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया भर के 200 से अधिक शहर तेजी से जल संकट की ओर बढ़ रहे हैं |
इसमें से 10 शहर तो डे - जीरो के कगार पर हैं |बंगलुरू शहर भी इस लिस्ट में शामिल है | 


आपने सुना होगा कि तीसरा विश्व युद्ध जल के लिए होगा | वर्तमान हालात को देखते हुए लगता है जल्द ही यह हकीकत में तबदील होने वाला है |
एक विद्वान के अनुसार 2030 तक भारत में पीने के लिए आवश्यक जल की मात्रा का आधा ही उपलब्ध होगा |
तब अगर संभलना भी चाहें तो बहुत देर हो चुकी होगी क्योंकि उस वक्त पेड़ लगाना भी चाहें तो पेड़ को सींचने के लिए जल नहीं होगा |





आपका -------- प्रमोद कुमार 


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